Thursday, January 31, 2013

खुशी का अणु



किसी ने कहा
जानते हो
सबसे छोटा
अणु होता है
खुशी का अणु
उसी बात को
याद करते हुऎ
मैंने आगे कुछ
इस तरह लिखा
मैं भी तो
तरसती हूँ उसी
एक छोटे से
अणु के लिये
मैं भी तो
तरसती हूँ उसी
एक खुशी के
अणु के लिये
खुशी का सागर
तो स्वप्न की
बात होती है
जहाँ भी कुछ
न्याय संगत
होता है
छोटा और
छोटे से छोटे
की बात
होती है
मैने कई बार
बडी़ से बडी़
बात को
कहकहों में
उडा़ने की
कोशिश भी की
कई बार इक
छोटी सी
बात भी बडी़
तकलीफ देती है
छोटी छोटी
सुंदर यादें
दोस्तों की तरह
जीना सिखाती हैं
मलहम लगाती हैं
घाव बन जाती हैं
कभी कभी
अपनी ही
कोई कमी
चुपके से
चुरा लेती है
छोटी सी खुशी
मैं भी तो
तरसती हूँ उसी
एक छोटी सी
खुशी के लिये
खुशी का सागर
तो स्वप्न की
बात होती है
घास पर
फुदकती ये
छोटी सी चिडि़या
एक छोटा
सा पिल्ला
सड़कों पर
दौड़ता हुआ
मेरे इंतजार में
एक पडो़सी का
कुत्ता बैठा है
दुम हिलाता हुआ
वे बच्चे
मुस्कुराते हुऎ
हाथ हिलाते हुऎ
याद रखते हैं मुझे
मैने कुछ
दिया था
उन्हें कभी
उनके गालों
को छुआ था
बदले में
ले ली थी उनसे
चुपके से
एक छोटी ी  खुशी
मैं तरसती हूँ
जिस खुशी के लिये
खुशी का सागर
तो स्वप्न की
बात होती है !!

Wednesday, January 30, 2013

नीला आसमाँ



नीला आसमाँ 
मेरे पास ही है
पर नजर 
नहीं आता
जब दूर होता है
तभी नजर 
आता है
दूर नजर 
आता है
लुभाता है 
ललचाता है
जिंदगी 
अपने से दूर
दूसरों के घर
नजर आती है
अपने आईने
में अपनी
सूरत रोनी
उनके आईने
में कहकहे
लगाती है
ये अपनी
बेटी की
मासूम निगाहें
कितनी भोली
है ये
इस जैसा
कोई नहीं
औरों की बेटियाँ
उफ उनकी
बात ना करो
मेरी माँ सा
कोई नहीं
सिर्फ ईश्वर ही
पासंग है उनका
हाँ बात
करनी ही है तो
सिर्फ उनकी ही
बात करो
प्यार पिक्चर में
नजर आता है
खूब हँसाता है
खूब रिझाता है
मगर जिंदगी में
प्यार के रंग
आसानी से
नहीं मिलते
बडी़ मुश्किल से
होती है बरसात
इंद्र धनुष
नजर आता है
ये नीला आसमाँ
है तो मेरे पास
पर जब दूर
होता है
तभी नजर
आता है !

Sunday, January 27, 2013

पृथ्वी के बहुत करीब आया है चाँद



आज चाँद
धरती के
सबसे करीब है
समंदर
कुछ कहना
जरूर चाहेगा
चाँद के
सुंदर मुखडे़ पर
लिखेगा
वह कविता
सुनोगे क्या?
वह एक पेंटिंग 
बनाना चाहेगा
अपनी ऊँची ऊँची 
लहरों से
कूँचियाँ
रंगों से भरी
पहुँचाना चाहेगा
चाँद पर
चाँद के विशाल
कैनवास पर
होंगी रंगों की बातें
समझायेगा
कोई मुझे?
आज
चकोर चाहेगा
चाँद को
जी भर के
हटेगी नहीं
दृष्टी वह
जियेगा
चाँद के साँथ
रात भर
एक मूँक
सँवाद सुनोगे
समझोगे तो
बताओगे मुझे भी
मैं जो
सो गयी थी
एक दिन
मुझे मिला
था श्राप
पथरा गयी थी
मेरी नजर
मुझ अहिल्या को
छुऎगा कोई
श्रीराम का चरण
जागकर देखूँ
मैं भी
धरती के
सबसे करीब
एक चाँद !

उर्जा का सफर




उर्जा बहती
रहती है
कभी
भीतर भीतर
और कहीं
बाहर बाहर
प्रकट होकर
वह नृत्य
बन जाती है
कहीं और
कहीं कैनवास में
रंगों का नृत्य
दिखाती है
कहीं शब्दों को
इस तरह
गूंधती है कि
वह माला
बन जाती है
सकारात्मक ऊर्जा
एक खुश्बू
का नाम है
माता पिता
प्रिय जनों
की ममता
का नाम है
एक कविता में
एक पंक्ति ही
बहुत कुछ
कह जाती है
एक चित्र में
एक भाव भंगिमा
एक रंगत
जैसे सब कुछ
बता जाती है
प्रवीण वक्ता ने
सामने से
जब कुछ कहा
प्रवीण श्रोता ने
भीतर से
जब सब सुना
भीतर का खालीपन
इक शोर करता हुआ
बाहर आता है
उर्जा का सफर
विचारों से चलकर
आँखों से बहकर
लेखनी में आता है
लेखनी तक आता है
तब लेखन में आता है !