समकालीन
परिस्थितियों में
एक
सफल बनाम सुघड़
आदमी का
जो खाका
बनाता है
परिस्थितियों में
एक
सफल बनाम सुघड़
आदमी का
जो खाका
बनाता है
कार्टूनिस्ट
उसमें
जिंदगी के
शॉर्ट कटों
से परहेज
रखने वाले
एक
आम आदमी
की झलक
नहीं होती
क्योंकी
उसके लिये
अपारदर्शी
होना
बेहद
जरूरी है
जिंदगी का
एक
मौलिक रंग
एक
मौलिक स्वाद
रखना
अपराध है
शक्कर की एक
मोटी परत
लाज़मी है
सिक्कों के वजन
खनखनाहट
को पहचानना
शहूर है
अति संवेदनशील
होना
असभ्यता की
निशानी है
सभी कुछ
जानता है
कार्टूनिस्ट
तभी
दूर रखता है
उसे
कहीं सबक भी उसमें
जिंदगी के
शॉर्ट कटों
से परहेज
रखने वाले
एक
आम आदमी
की झलक
नहीं होती
क्योंकी
उसके लिये
अपारदर्शी
होना
बेहद
जरूरी है
जिंदगी का
एक
मौलिक रंग
एक
मौलिक स्वाद
रखना
अपराध है
शक्कर की एक
मोटी परत
लाज़मी है
सिक्कों के वजन
खनखनाहट
को पहचानना
शहूर है
अति संवेदनशील
होना
असभ्यता की
निशानी है
सभी कुछ
जानता है
कार्टूनिस्ट
तभी
दूर रखता है
उसे
देता है
कहीं
सजा भी
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